Saja Do Ghar Gulshan Sa | सजा दो घर को गुलशन सा Bhajan

saja do ghar ko gulshan sa

सजा दो घर को गुलशन सा – Saja Do Ghar Gulshan Sa Bhajan

सजा दो घर को गुलशन सा,
मेरे सरकार आये है…
मेरे सरकार आये है…
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
मेरे सरकार आये है…
सजा दो घर को गूलशन सा,
मेरे सरकार आये है…।।

तर्ज-जगत के रंग में क्या देखु।

पखारो इनके चरणो को…
बहा कर प्रेम की गंगा,
बहा कर प्रेम की गंगा,
बिछा दो अपनी पलको को,
मेरे सरकार आये है…
सजा दो घर को गूलशन सा,
मेरे सरकार आये है…।।

उमड़ आई मेरी आँखे,
देख कर अपने बाबा को,
देख कर अपने बाबा को…
हुई रोशन मेरी गलियां,
मेरे सरकार आये है…
सजा दो घर को गूलशन सा,
मेरे सरकार आये है…।।

तुम आकर फिर नहीं जाना,
मेरी इस सुनी दुनिया से,
मेरी इस सुनी दुनिया से,
कहूँ हर दम यही सब से,
मेरे सरकार आये है…
सजा दो घर को गूलशन सा,
मेरे सरकार आये है…।।

सजा दो घर को गुलशन सा,
मेरे सरकार आये है,
मेरे सरकार आये है,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
मेरे सरकार आये है…,
सजा दो घर को गूलशन सा,
मेरे सरकार आये है…।।

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